चंद्रप्रभा वटी के फायदें और नुकसान
चंद्रप्रभा वटी आयुर्वेद में एक बहुत ही प्रसिद्ध और उपयोगी वटी है | इसके नाम से ही उसके गुणों का पता लगाया जा सकता है| चंद्र यानी चंद्रमा प्रभा यानी उसकी चमक अर्थात चंद्रप्रभा वटी के सेवन से शरीर में चंद्रमा जैसी क्रांति या चमक और ताकत पैदा होता है | इसलिए शारीरिक कमजोरी पैदा करने वाली लगभग सभी बीमारियों में अन्य दवाइयों के साथ चंद्रप्रभा वटी को भी दी जाने की सलाह दी जाती है | तो चलिए जानते हैं चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान के बारे में _
चंद्रप्रभा वटी के फायदें
चंद्रप्रभा वटी का उपयोग मधुमेह (डायबिटीज) के नियंत्रण के लिए किया जाता है
मधुमेह में फायदेमंद :
डायबिटीज या मधुमेह के मरीजों के लिए यह दवा काफी लाभकारी होता है | किडनी से संबंधित रोग के लिए, किडनी के खराब होने पर मूत्र की उत्पत्ति बहुत कम होती है | जो शरीर के अनेकों रोगों को उत्पन्न करता है एवं मूत्राशय में विकृति होने पर मूत्र आने पर जलन, पेडू में जलन, मूत्र का रंग लाल होना या अधिक दुर्गंध होने जैसी समस्याओं में चंद्रप्रभा वटी अति उपयोगी मानी जाती है | इससे गुर्दों की कार्यक्षमता बढ़ती है, जो शरीर को साफ रखते हैं | शरीर में बढ़े यूरिक एसिड और यूरिया आदि तत्वों को यह शरीर से बाहर निकालती है |
मूत्र संबंधित विकारों में लाभकारी :
यह वटी पेशाब (Urine) की समस्याओं और वीर्य विकार में काफी लाभकारी तथा प्रसिद्ध दवाइयों में से एक मानी जाती है | मूत्र आने पर जलन, रुक रुक कर मूत्र का आना, मूत्र में चीनी आना, मूत्र में एल्ब्यूमिन जाना, मूत्राशय की सूजन तथा लिंग की कमजोरी इससे शीघ्र ठीक हो जाती है |
शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाने में :
चंद्रप्रभा वटी के नियमित सेवन से शारीरिक तथा मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है | यह थोड़े से मेहनत से होने वाली थकान और तनाव आदि को कम करती है | शरीर में स्फूर्ति लाती है और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाती है | चंद्रप्रभा वटी के फायदे को देखते हुए इसे संपूर्ण स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है | इसके साथ पुनर्नवासव का भी प्रयोग करना चाहिए | टॉनिक होने के अलावा चंद्रप्रभा वटी शरीर को अलग-अलग प्रकार के टॉक्सिन से भी मुक्त करने का काम करता है |
वीर्य संबंधित रोगों में चंद्रप्रभा वटी के लाभ :
पुरुषों अधिक शुक्र क्षरण या स्त्रियों में अधिक ब्लीडिंग होने से शारीरिक कान्ति नष्ट हो जाती है | शरीर का रंग पीला पड़ने लगता है, थोड़े ही परिश्रम से जल्द थकान सी महसूस हो जाती है, आंखें अंदर धंस जाती है, भूख न लगना आदि विकार पैदा हो जाते हैं | ऐसे में इस वटी का उपयोग करना काफी अच्छा होता है | यह रक्तादि धातुओं की पुष्टि करता है और स्पर्म काउंट को तेजी से बढ़ाता है | ब्लड सेल यानी रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती है | स्वप्नदोष या शुक्र वाहिनी नाड़ियों के कमजोर पड़ जाने पर इससे जल्द आराम मिलता है |
स्त्री रोगों में चंद्रप्रभा वटी के लाभ :
स्त्री रोगों के लिए यह बहुत ही अच्छी औषधि मानी जाती है | यह गर्भाशय की कमजोरी दूर कर उसे स्वस्थ बनाती है | गर्भाशय के बड़े आकार, उसकी रसौली, बारंबार गर्भपात आदि समस्याओं में चंद्रप्रभा वटी का सेवन रामबाण का काम करता है | यह गर्भ से संबंधित रोगों को दूर कर गर्भाशय को एक नई ऊर्जा प्रदान करता है | अधिक मैथुन या अधिक संतान होने अथवा विभिन्न रोगों से गर्भाशय के कमजोर हो जाने, कष्ट के साथ मासिक धर्म आना, लगातार 10 – 12 दिन तक रक्त स्राव होना इन सारी समस्याओं में चंद्रप्रभा वटी को अशोक घृत या फलघृत के साथ लेना चाहिए |
चंद्रप्रभा वटी के नुकसान
अभी तक इस आयुर्वेदिक दवा का कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है किंतु अगर अनुचित मात्रा में या फिर बिना डॉक्टर की सलाह लिए इसका सेवन किया जाए, तो कुछ सामान्य साइड इफेक्ट हो सकते हैं | जैसे_
- कुछ लोगों को इसके सेवन से पेशाब करते समय जलन महसूस हो सकता है |
- इसके अधिक सेवन से सांस नली में रुकावट आ सकती है |
- डायरिया के लक्षण भी व्यक्ति में लिख सकती है |
- चंद्रप्रभा वटी के स्वाद के कारण व्यक्ति को मतली की समस्या भी हो सकती है |
चंद्रप्रभा वटी की सामग्री
चंद्रप्रभा वटी मूत्रवर्धक और यूटीआई से संबंधित समस्याओं में मददगार होता है और यह कई सारी जड़ी बूटियों के संयोजक से बनता है | चंद्रप्रभा वटी में उपयोग आने वाले सामग्री की सूची नीचे विस्तार से बताई गई है _
- गुग्गुल,
- शिलाजीत,
- शरकारा,
- लौहा भस्म,
- विदा लवण,
- स्वर्णमक्षिका भस्म,
- ट्रिबिट,
- वंक्षलोचन,
- इला,
- तेजपत्ता,
- दालचीनी,
- दंती मूल,
- कपूर,
- अतिविषा,
- हरिद्वार,
- वाचा,
- आमलकी,
- मुस्तक,
- बिभितक,
- छाव्या,
- हरितकी,
- धनिया,
- पिप्पली मूल,
- गज पिप्पली,
- गुडुची,
- चित्रक छाल
- दरवी,
- शुंथी,
- देवदरु,
- विदंगा,
- भुनिंबा,
- सैंधव लवन,
- सुवर्चल लवन,
- यवक्षर,
- मारीच आदि
चंद्रप्रभा वटी के सेवन का तरीका
चंद्रप्रभा वटी की खुराक पूरी तरह से व्यक्ति की उम्र लिंग और अवस्था पर निर्भर करती है | इसके अलावा कंपनियां अलग-अलग तरीके से चंद्रप्रभा वटी के प्रोडक्ट बनाती है | इसलिए लगातार सेवन शुरू करने से पहले डॉक्टर की परामर्श जरूर लें|
- आमतौर पर सामान्य आयु के व्यक्तियों के लिए चंद्रप्रभा वटी की खुराक दिन में खाना खाने के बाद दो या तीन बार 1000 mg से 2000 mg है |
- कम उम्र के बच्चों में इसका सेवन करने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है |
- बुजुर्गों के लिए इसकी खोरा जरूरत के हिसाब से बढ़ाई जा सकती है |
निष्कर्ष :
चंद्रप्रभा वटी का उपयोग वास्तव में एक स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में किया जाता है | जो शारीरिक शक्ति को बढ़ाते हुए सामान्य दुर्बलता को भी कम करने में मदद करता है | मैं आशा करती हूँ की आपको मेरी यह जानकारी पसंद आई होगी | यदि आपको मेरी यह पोस्ट पसंद आई हो, तो अपने परिवार, दोस्त या किसी ग्रुप में शेयर करना न भूलें और यदि आप इस वेबसाइट पर नए हैं तो सब्सक्राइब करें और वेल आइकॉन को दबाना ना भूलें ताकि आपको सबसे पहले कोई भी अपडेट पढ़ने को मिल पाए |
A- हां, गर्भाशय की कमजोरी दूर करने के लिए चंद्रप्रभा वटी फायदेमंद है।
A- चंद्रप्रभा वटी का अधिक सेवन करने से सांस की नली में समस्या हो सकती है। इसके अलावा भी इसके दुष्परिणाम हो सकते है।